मंजिल जीवन का उद्देश्य नही है राह देखकर रुक जाना,
किंतु पहुचना उस मंजिल पर जिसके आगे राह नही.
रिश्ते--अम्मा शब्दों से परे ,संज्ञा है एक अनाम.
उसके आँचल में बंधे,चारों पावन धाम
पिता चाँदनी पलना,बट पीपल की छांव.
दूर क्षितिज को नापते,धुल धूसरित पाँव.
पत्नी आँगन की नदी,बिरवा है घर-बार.
सींच-सींच कर सूखती ,ढोती रेत अपार.
पत्नी चादर छांव की,मैली पर उजियार.
खींच तानकर स्वयं को,ढंके सकल परिवार.
भइया ख़त परदेस का ,फीकी स्याही लेख.
थोरे में कहता बहुत,असमय हुआ सरेख.
बहिना धागा नेह का,पोर-पोर बाँध जाए.
हरदम छलकी आंख है,उसे कौन बिसराए.
बेटी मैना दूर की ,चह्के करे निहाल.
वक्त हुआ लो उड़ चली,तज पीहर की डाल.
बेटा है माँ-बाप की इच्छा का आकाश.
वक्त पड़े भूगोल है,वक्त पड़े इतिहास।
माँ --अलका मधुसूदन